नेता कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह की कार्यशैली से अच्छे खासे परेशान
3 सांसद और 6 विधायकों को रास नहीं आ रहे छतरपुर कलेक्टर


छतरपुर। छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र singh की पदस्थापना कांग्रेस सरकार के दौरान 22 फरवरी को हुई थी। उस समय छतरपुर जिले में कांग्रेस के चार विधायक और एक सपा के विधायक ने मिलकर शीलेन्द्र सिंह राजपूत के नाम की मुहर लगाकर छतरपुर में पदस्थापना कराई थी और तत्कालीन कलेक्टर मोहित बुंदस को हटवाया था। लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण यह हुआ कि कांग्रेस की सरकार गिर गई और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। उसके बाद से कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने अपना असली चेहरा प्रकट किया और नेताओं की जो दुर्दशा छतरपुर में हो रही है वह किसी से छिपी नहीं है। छतरपुर जिले में तीन सांसद प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें खजुराहो सांसद एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु शर्मा, दमोह सांसद प्रहलाद पटेल एवं टीकमगढ़ सांसद वीरेन्द्र खटीक के अलावा छतरपुर जिले से 6 विधायक है जिसमें 3 कांग्रेसी हैं एवं दो भाजपा के और एक सपा के चुने हुए विधायक हैं लेकिन इन विधायकों औरसांसदों ने कलेक्टर के 16 माह के कार्यकाल में एक भी शस्त्र लायसेंस नहीं बनवा पाया। एक दर्जन से ज्यादा जनप्रतिनिधियों के लेटरपेड शस्त्र शाखा में धूल खा रहे हैं। कलेक्टर के द्वारा शासन के आदेश और नियमों को ताक में रखकर जिले में काम किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के अधिकांश नेता कलेक्टर की कार्यशैली से अच्छे खासे परेशान हैं परंतु वह अपना दर्द किसी को बता नहीं पा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों को मिलने के लिए कलेक्टर से समय लेनापड़ता है और समय देने के बाद भी कलेक्टर जनप्रतिनिधियों को घंटों वेट कराते हैं। इससमय छतरपुर में कलेक्ट्रेट कार्यालय में केवल मीटिंग और बीसी का दौर चल रहा है। जिसके चलते फील्ड में सभी शासकीय योजनाएं पूरी तरह से ठप है। भोपाल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सब जानकारी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंच चुकी है।एक बीसी में मुख्यमंत्री ने छतरपुर कलेक्टर को हिदायत देते हुए कहा था कि कुछ जिले के कलेक्टर अपनी सीमाएं लांघा रहे हैं और जनप्रतिनिधियों का जिले में पूरा सम्मान होना चाहिए और उनके पत्रों का सम्मान तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए। परंतु उसके बावजूद भी कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं कियाऔर मनमानी तरीके से जिले को चलाने में लगे हुए हैं। भाजपा के शासनकाल में अधिकांश जिलों में कलेक्टर बदल चुके हैं परंतु छतरपुर जिले के कलेक्टर की पकड़ मजबूत होने के कारण उन्हें अभी तक नहीं बदला गया।छतरपुर कलेक्ट्रेट में पूर्व कलेक्टरों के समय भाजपा के मंडल एवं अन्य पदों पर बैठे नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था वह इस समय बिल्कुल समाप्त हो चुका है। भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब जिले के नेताओं की नहीं चल रही तो हम कलेक्ट्रेट में जाकर क्या करेंगे। आम जनता को कलेक्टर से मिलने के लिए बड़े अधिकारियों से फोन करानापड़ता है आम जनता सीधे कलेक्टर से सीधे नहीं मिल सकती है। ये छतरपुर के कलेक्टर हैं जो अंग्रेज के जमाने के रूल और एक्ट के तहत कार्य कर रहे हैं।