देश/विदेश

इस देश में वर्वेट बंदरों की नस्ल खत्म करने का मिला हुक्म, दुनिया में मचा हंगामा, जानें वजह

हाइलाइट्स

वर्वेट बंदरों की आबादी को खत्‍म करने में तीन साल का वक्‍त लगेगा
एनजीओ को सरकार ने दिया टारगेट, अफ्रीका मूल का है बंदर
कई देशों के पशु प्रेमियों ने दी है प्रतिक्रिया, दूसरे विकल्‍प सुझाए

नई दिल्‍ली. अगर किसी एक बंदर या बंदरों के किसी समूह के कारण यदि थोड़ा बहुत नुकसान हो जाए तो क्‍या इसकी सजा पूरे देश के बंदरों को मिलनी चाहिए? क्‍या कोई देश उपद्रवी बंदरों की पूरी आबादी को खत्‍म करने का आदेश दे सकता है? कैरिबियाई देश सिंत मार्टेन में एक ऐसा ही फैसला लिया जा रहा है. द गार्जियन ने बताया है कि वर्वेट बंदरों की पूरी आबादी को खत्‍म करने की मंजूरी दे दी है. दरअसल इस देश के लोगों ने इस बंदर को उपद्रवी और खतरनाक बंदर बताया है.

हालांकि इस आदेश के बाद दुनिया के कई पर्यावरण और पशु प्रेमियों ने इस आदेश को बदलने की मांग की है. पशु प्रेमियों ने कहा है कि बंदरों को मारने की बजाए उनकी नसबंदी और न्‍यूट्रिंग का तरीका भी आजमाया जा सकता है. खबरों के मुताबिक सिंट माार्टेन में एक एनजीओ को सरकार ने इस काम के लिए चुन लिया है और उसे सभी बंदरों को पकड़ने और उन्‍हें मार देने का काम सौंप दिया है. इस काम के लिए 3 साल का समय दिया गया है.

वर्वेट बंदर कैरेबियाई मूल का नहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था
नेचर फाउंडेशन के प्रबंधक लेस्‍की हिकर्सन ने बताया कि जब एक स्‍पीसीज ऐसे क्षेत्र में अपनी आबादी को बढ़ा रही होती है, जबकि वह उस क्षेत्र की मूल प्रजाति न हो तो उसे संरक्षित करना चाहिए. यह वर्वेट बंदर भी कैरेबियाई मूल का नहीं है. यहां उसकी आबादी को नियंत्रित कर रखा जा सकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के पास भी यह जानवर देखने के लिए उपलब्‍ध हो. इस प्रजाति के बंदरों को 17 वीं शताब्‍दी में कैरेबियाई देश में लाया गया था. ये वर्वेट बंदर के पास भूरे रंग के धब्‍बेदार भूरे-भूरे रंग के शरीर और सफेद फर के साथ काले चेहरे होते हैं. पशु प्रेमी और दक्षिण अफ्रीका में वर्वेट मंकी फाउंडेशन के संस्‍थापक डेव डू टिट ने कहा है कि किसी प्रजाति का खात्‍मा अच्‍छा फैसला नहीं है. वर्वेट बंदरों को मारने के निर्णय से मैं सहमत नहीं हूं. आप समस्‍या को हल करने के लिए इन बंदरों में से कुछ की नसबंदी कर सकते हैं.

Tags: Monkey, Monkeys problem, Population control


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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