63 applied for bail, 10 applied again after being acquitted | जेल से छूटकर दोबारा रेप, MP में ऐसे 73 केस: पुलिस निगरानी नहीं करती, मनोचिकित्सक बोले- सजा के साथ मेंटल ट्रीटमेंट जरूरी – Madhya Pradesh News

राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ की 11 साल की मासूम से रेप करने वाले आरोपी रमेश खाती ने इससे पहले भी दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया था। इनमें से एक मामले में तो कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी, बाद में वह बरी हो गया।
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रमेश अकेला नहीं है, जिसने जेल से छूटकर दोबारा रेप की घटना को अंजाम दिया हो। मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से विधानसभा में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2022 तक चार साल में जमानत पर छूटे 63 आरोपियों ने दोबारा रेप की घटना को अंजाम दिया। वहीं 10 आरोपी ऐसे थे, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली थी।
मासूम बच्चियों से रेप के आरोपी जब जमानत पर छूटते हैं या फिर सजा पूरी कर लेते हैं, तो दोबारा उसी अपराध को अंजाम क्यों देते हैं? भास्कर ने जब इस मामले में पुलिस के रिटायर्ड अधिकारियों से बात की तो वे बोले- जेल से छूटने वाले अपराधियों की निगरानी नहीं होती।
वहीं, मनोचिकित्सकों ने कहा कि केवल सजा ही अपराधी की मानसिकता नहीं बदल सकती। उसे जेल में ही काउंसलिंग और मेंटल ट्रीटमेंट दिए जाने की जरूरत है। पढ़िए रिपोर्ट..
पहले वो तीन केस, जिनमें जेल से छूटे आरोपियों ने दोबारा रेप किया
1. हरदा: कुरकुरे दिलाने के बहाने 5 साल की बच्ची से रेप ये मामला पिछले साल 4 सितंबर का है। हरदा जिले के छीपाबड़ में एक युवक पांच साल की बच्ची को कुरकुरे दिलाने के बहाने नदी के किनारे ले गया। वहां उसने दुष्कर्म किया। ग्रामीणों ने रो रही बच्ची को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस को पता चला कि खंडवा का रहने वाला सुनील कोरकू रिश्तेदार के घर छीपाबड़ आया था, उसी ने वारदात को अंजाम दिया।
सुनील जंगल में छिप गया था। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए भोपाल से थर्मल इमेज नाइट विजन ड्रोन कैमरा मंगाया । छीपाबड़ टीआई मुकेश गौड़ बताते हैं- हमने घने जंगल में तलाशी के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में पता चला कि खंडवा में एक बच्ची के साथ उसने रेप किया था।
उसे इस मामले में सजा भी हुई थी। इस मामले में पेश की गई चार्जशीट में उसके पुराने अपराध का भी जिक्र किया है। कोर्ट से आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

सुनील कोरकू को हरदा की सिराली पुलिस ने ड्रोन की मदद से पकड़ा था।
2. भोपाल: बच्ची को खंडहर ले गया, महिला ने देखा तो भागा ये मामला भोपाल के पिपलानी थाना इलाके का है। पिछले साल 18 दिसंबर को एक युवक छोटी बच्ची को खंडहर में तब्दील हो चुके क्वार्टर्स में ले गया। जहां उसने बच्ची से गलत हरकत की कोशिश की। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) से इलाज कराकर लौट रही राखी मिश्रा ने बच्ची को रोते हुए देखा तो शोर मचाया।
महिला को देख युवक बच्ची को छोड़कर भाग खड़ा हुआ। पिपलानी थाना प्रभारी अनुराग लाल बताते हैं- आरोपी अरबाज खान के खिलाफ पहले छेड़खानी का मामला दर्ज था। वह कुछ दिन पहले ही जेल से जमानत पर छूटा था। इस बार बच्ची को चॉकलेट देने के बहाने खंडहर में ले गया था।
उसे पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था। इस समय वह जेल में है। मामला कोर्ट में चल रहा है।

बच्ची को चॉकलेट देने के बहाने अरबाज उसे खंडहर में ले गया था।
3. सतना: अच्छे बर्ताव की वजह से जेल से छूटा, फिर की वारदात सतना में अगस्त 2023 में पांच साल की बच्ची से रेप हुआ। पीड़िता अपनी दादी के साथ रहती थी। दोनों भीख मांगकर गुजारा करते थे। पुलिस ने आरोपी राकेश वर्मा को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ में पता चला कि राकेश ने 12 साल पहले भी रेप की वारदात को अंजाम दिया था।
कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी। जेल में अच्छे चाल-चलन के चलते उसे सात साल की सजा के बाद ही रिहा कर दिया गया था। मगर, डेढ़ साल बाद उसने फिर वारदात को अंजाम दिया। नगर निगम के अमले ने आरोपी के मकान को भी जमींदोज कर दिया था। हालांकि, ये मकान आरोपी की दादी कलावती के नाम पर था।

दोबारा रेप करने वाला आरोपी राकेश वर्मा और उसका मकान गिराते नगर निगम के कर्मचारी।
अब जानिए, दोबारा वारदातों को अंजाम क्यों दे रहे आरोपी
1. रिहा होने वाले कैदियों का डेटा साझा करने का नियम जेल से छूटने के बाद हर अपराधी का रिकॉर्ड जिला पुलिस से साझा किया जाता है। जेल डीआईजी संजय पांडे बताते हैं कि क्राइम ब्रांच के एक पुलिसकर्मी की ड्यूटी इस बात की होती है कि वह हर दिन जेल जाता है और जेल से रिहा होने वाले, जमानत पर छूटने या पैरोल पर निकलने वाले कैदियों की जानकारी लेकर आता है।
इस जानकारी के आधार पर ही जिला पुलिस जेल से छूटने वाले कैदियों की निगरानी की व्यवस्था करती है।
2. जेल से छूटने के बाद अपराधियों की निगरानी नहीं होती रिटायर्ड डीएसपी सलीम खान कहते हैं कि जेल से छूटने के बाद अपराधियों की निगरानी की व्यवस्था के निर्देश तो हैं, मगर निगरानी नहीं होती। जेल से छूटे अपराधियों की निगरानी के लिए रजिस्टर बनाए जाते हैं मगर इन्हें मेंटेन नहीं किया जाता।
सलीम खान बताते हैं कि पुलिस एक्ट के मुताबिक सीएसपी स्तर के अधिकारी को साल में दो बार और एसपी स्तर के अधिकारी को एक बार थानों का निरीक्षण अनिवार्य है। इस दौरान निगरानी रजिस्टर समेत थाने का पूरा रिकॉर्ड चेक किया जाता है।

मनोचिकित्सक बोले- सजा से मानसिकता नहीं बदलती मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि जेल से छूटकर जो दोबारा अपराध को अंजाम देते हैं, उनकी मानसिकता नहीं बदलती। वो मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं। ऐसे अपराधियों को दूसरों को तकलीफ देने में खुशी महसूस होती है।
हकीकत में वह सामान्य सेक्स संबंध बना ही नहीं पाते। यही कारण है कि जब वह जेल से छूटते हैं, तो उसी तरह के अपराध को अंजाम देते हैं। डॉ. त्रिवेदी कहते हैं कि बच्चियों के साथ रेप करने वाले अपराधियों की जेल में ही काउंसलिंग होनी चाहिए। उसी समय उनकी मानसिक बीमारी के बारे में पता चल सकता है।

जेल से छूटने से पहले मेंटल हेल्थ असेसमेंट जरूरी मनोचिकित्सक डॉ. समीक्षा साहू कहती हैं कि ऐसे लोगों को सुधारना और समाज को बचाना, ये हमारी जिम्मेदारी है। रिसर्च बताती है कि बच्चियों के साथ रेप करने वाले अपराधी पर्सनालिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। इनके मन में अपराध बोध नहीं होता। ये दूसरों का नुकसान करने से घबराते नहीं हैं।
कुछ लोगों में गलत तरीके से यौन संबंध बनाने की इच्छाएं बेहद स्ट्रॉन्ग होती हैं। इनके भीतर पावर डायनामिक्स की भावना भी होती है। ये समझते हैं कि हम मर्द हैं, पावरफुल हैं, किसी पर भी हावी हो सकते हैं। ऐसे अपराधियों को जेल से रिहा करने से पहले इनका मेंटल हेल्थ असेसमेंट करना जरूरी है।
इसमें ये देखा जाना चाहिए कि जेल जाने से पहले अपराधी की जो मानसिकता थी, उसमें बदलाव आया या नहीं? इसके लिए जेल में रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम चलाए जाने की जरूरत है।

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