मध्यप्रदेश

लेखक हरिंदर सिक्का बोले-मैंने किताब देकर गलती की; चीतों का इतिहास लिखने वाले ने कहा-सरकार तादाद पर ध्यान दे | Writer Harinder Sikka said – I made a mistake by giving him the book,

भोपाल25 मिनट पहले

मशहूर फिल्म ‘राजी’ लेखक हरिंदर सिक्का की किताब ‘कॉलिंग सहमत’ पर बनी थी। उन्होंने फिल्म की निर्देशक मेघना गुलजार पर धोखा देने का आरोप लगाया। यही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि मैंने मेघना को किताब के राइट्स देकर गलती की है। एक्स नेवी ऑफिसर और लेखक हरिंदर सिक्का रविवार को भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने आए थे।

यहां उन्होंने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने आने वाली किताबों के बारे में भी बताया। उनकी अगली किताब ‘गोविंद’ एक नेवी ऑफिसर की जिंदगी पर आधारित है। हरिंदर सिक्का फेस्टिवल के सत्र ‘बॉक्स ऑफिस फ्रॉम बुक्स’ में बात करने आए थे। रविवार को भोपाल लिटरेटर एंड आर्ट फेस्टिवल का तीसरा और आखिरी दिन रहा।

‘बॉक्स ऑफिस फ्रॉम बुक्स’ सत्र में हरिंदर सिक्का, रेणु कौल और प्रवीण मोरछले।

“किताब से अलग है फिल्म राजी; राष्ट्रभक्ति के सीन हटाए गए”

हरिंदर सिक्का ने फिल्म पर कहा कि “फिल्म में डायरेक्टर ने एक हीरो को ऐसे दिखाया है, जैसे उसने देश के लिए लड़कर गलती की हो। सहमत तिरंगे को पूजती थी। उन्होंने फिल्म से तिरंगे को ही निकाल दिया। पाकिस्तान के झंडे दिखाए। राष्ट्रभक्ति के सीन ही हटा दिए गए। उन्होंने भारतीय एजेंट्स पर सवाल किए। पाकिस्तानी आर्मी को नर्म दिल दिखाया, जबकि ऐसा नहीं है, वो लोग इसके उलट हैं।”

“सहमत ने आकर तिरंगे को सैल्यूट किया था, जबकि फिल्म में डिप्रेस लौटीं”

वे कहते हैं कि, “फिल्म में दिखाया गया कि वो एक डिप्रेस इंसान की तरह वापस आई थी, जबकि ऐसा नहीं था। जब सहमत वापस आई, तो उसने तिरंगे को सैल्यूट किया था। जो बैंड वहां ‘जय भारती’ बजा रहा था, उसने इस गीत को रोक कर राष्ट्रगान बजाया था। आपको वो दिखाना चाहिए था।”

उन्होंने कहा कि “फिल्म ने एक नैरेटिव दिखाया है कि कश्मीरी मुसलमान देश के खिलाफ हैं। इसके साथ डायरेक्टर ने दुबई और कराची के लोगों को खुश किया, लेकिन जिस आदमी ने 8 साल लगाकर सहमत की किताब लिखी; वो ये जानता है कि इससे सहमत की आत्मा खुश नहीं है। वो नाराज है, दुखी है। मुझे ये लगता है कि मैंने मेघना गुलजार को बिना जाने किताब के राइट्स देकर बड़ी गलती कर दी।” वे कहते हैं कि “मैंने गुलजार साहब को जबान दी थी। उन्होंने मुझसे गुजारिश की थी कि 4 साल से उसे किसी ने डायरेक्टर का काम नहीं दिया है, आप दे दो। मैंने बात रखने के लिए उसे डायरेक्टर बनाया, लेकिन उसने मेरी पीठ पर छुरा घोंपा।”

भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल के सत्र में बात रखते लेखक।

भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल के सत्र में बात रखते लेखक।

गुलजार पर भी लगाए गंभीर आरोप

हरिंदर सिक्का ने मशहूर लेखक और गीतकार गुलजार पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “गुलजार ने मेरे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जाने को लेकर मना किया था। उन्होंने आयोजकों को कहा कि मुझे न बुलाएं। हालांकि, आयोजकों में आर्मी परिवार का एक बेटा था, उन्होंने मुझे बुलाया। गुलजार ने मेरी किताब को लेट कराने की भी कोशिश की। मुझे आइफा अवॉर्ड मिलने वाला था, लेकिन वो भी उनकी वजह से नहीं मिल सका।”

उन्होंने कहा कि, “मैं ये सब इसलिए लोगों को बताना चाहता हूं, ताकि किसी और के साथ ऐसा न हो। हम लेखकों को एक साथ जुड़ना जरूरी है। मैंने कॉलिंग सहमत 8 साल में लिखी थी। कोई हमारी कहानियों को बहुत कम दाम पर, दो टके में खरीद कर उसकी राजी जैसी हालत कर दे। ऐसा किसी और के साथ न हो।” उन्होंने आगे कहा कि, “मैं 8 साल तक उनके घर जाता रहा। वे कभी 5 मिनट, कभी 10 मिनट मिल जाया करती थीं। मैं उन्हें थोड़ा-थोड़ा लिखकर भेजता रहता। वे उसका 90% हटाकर वापस भेजती थीं। इस तरह 8 साल बाद 2008 में सहमत की कहानी पूरी हो पाई।”

बीएलएफ में आए लेखक राजेश बादल और उनकी पत्नी।

बीएलएफ में आए लेखक राजेश बादल और उनकी पत्नी।

8 साल में लिखी गई सहमत की कहानी

सहमत और इस कहानी के लिए वे कैसे तैयार हुईं, इस बारे में उन्होंने बताया कि, “पहले मुझे लगता था कि मैं बहुत बहादुर हूं। जैसे-जैसे मैंने सहमत को जाना, मुझे समझ आया कि मैं तो कुछ भी नहीं हूं। पहले वे अपनी कहानी नहीं बताना चाहती थीं। मेरे लगातार जोर देने पर उन्होंने थोड़ी-थोड़ी अपनी कहानी बताई।”

लेखकों का गिल्ड बनाने की तैयारी में हरिंदर सिक्का

हरिंदर सिक्का लेखकों के लिए समूह बनाने जा रहे हैं। इसमें लेखकों को जोड़कर उनके प्रॉफिट शेयर के लिए काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “मैं लेखकों का गिल्ड बनाने जा रहा हूं। इसमें कई लोग होंगे। “लेखक रजनीकांत पुराणिक की किताब ’97 मेजर ब्लंडर्स बाय नेहरू’ को खरीद लिया गया है। यही नहीं, इस पर जो फिल्म बनेगी, उसमें भी लेखक को प्रॉफिट शेयर दिया जाएगा। पूरा प्रॉफिट प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स को जाए, ये तो ठीक नहीं है। विदेशों में ऐसा होता है, तो यहां क्यों नहीं?”

बीएलएफ के आखिरी दिन भोपाल हैरिटेज वॉक का आयोजन भी हुआ।

बीएलएफ के आखिरी दिन भोपाल हैरिटेज वॉक का आयोजन भी हुआ।

“एक हिम्मती मां के संघर्ष की कहानी है विछोड़ा”

उन्होंने अपनी किताब विछोड़ा के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि “विछोड़ा ऐसी महिला की कहानी है, जिसके दो बच्चों से उसे अलग कर दिया गया था। यह घटना बंटवारे के समय की है। ये कहानी उस मां के 65 सालों के संघर्ष की है।” वे कहते हैं कि “वहां बच्चे मक्का जाते थे अपनी मां से मिलने के लिए। इधर, मां गुरुद्वारे जाती थी कि किसी तरह उसके बच्चे उससे मिल जाएं। इसमें धर्म नहीं था सिर्फ एक मां का प्रेम था।”

साल 2023 का सुशीला देवी सम्मान लेखिका अनुराधा रॉय को दिया गया।

साल 2023 का सुशीला देवी सम्मान लेखिका अनुराधा रॉय को दिया गया।

इसके अलावा, चीतों के इतिहास को लिखने वाले इकलौते डॉ. दिव्यभानु सिंह चावड़ा ने चीतों के इतिहास से जुड़ी कई बातें रखी। डॉ. चावड़ा ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार को अभी देश में चीतों की तादाद पर ध्यान देना चाहिए न कि चीतों के नाम पर टूरिज्म को बढ़ावा देने पर।

उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल करते हुए कहा कि ‘चीता टास्क फोर्स’ में टूरिज्म डिपार्टमेंट के ऑफिसर की क्या जरूरत? उन्होंने कहा कि देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में पहली बार 16वीं शताब्दी में चीता की पेंटिंग को अकबर के दरबार में उकेरा गया था। डॉ. चावड़ा की 40 साल से की गई रिसर्च में सामने आया कि चीतों की पूंछ के छोर पर काले या सफेद रंग से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अफ्रीकन नस्ल का है या भारतीय।

क्यों खत्म हुए भारत में चीते ?

अपनी बुक ‘चीता एंड द लास्ट ट्रेल्स’ में चीतों के शिकार के अलावा भारत में प्रजाति खत्म होने का जिम्मेदार मुगलों को ठहराया। उन्होंने कहा कि 16वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा जंगल से चीतों को इसलिए लाया जाता था, जिससे चीते के शिकार करने के तरीके से शिकार करने लगे।

फेस्टिवल के एक सत्र के दौरान लेखक और आयोजक राघव चंद्रा।

फेस्टिवल के एक सत्र के दौरान लेखक और आयोजक राघव चंद्रा।

अकबर के दरबार में चीतों को सम्मान

बुक में कई रोचक किस्सों में से एक किस्सा शेयर करते हुए डॉ चावड़ा ने बताया की 16वी शताब्दी में जब चीते शिकार पर जाते थे तो राजा महाराजा की तरह उनके लिए भी ड्रम बज वाए जाते थे। भारतीय महाद्वीप में चीतों के लुप्त हो जाने का रिकॉर्ड साल 1997 का है। महाद्वीप का आखिरी चीता 1997 में बलूचिस्तान में मारा गया था ।

अर्बन होने के फायदे से ज्यादा नुकसान है- सीमा मुंदोली

आर्ट एंड लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन कई सेशन, जिनमें इंडिया चाइना के बीच वॉर थ्रेट से लेकर और भी कई सब्जेक्ट्स पर बातें हुई। सीमा मुंदोली ने सिटीज, एन्वायर्नमेंट और सस्टेनबल डेवलपमेंट पर चर्चा करते हुए कहा कि अर्बन होने का फायदा और इसका नुकसान दोनों हैं।

बेहद खराब तरीके से प्लान किया गया था ऑपरेशन ब्लू स्टार- रमेश इंदर सिंह

पंजाब के पूर्व चीफ सेक्रेटरी रमेश इंदर सिंह ने आर परशुराम से बात की। अपनी किताब टर्मोइल इन पंजाब पर बात करते हुए रमेश इंदर सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार और पंजाब को लेकर विचार रखे। उन्होंने कहा कि ब्लू स्टार एक बेहद खराब तरीके से प्लान किया गया और उसी खराबी से उसे फॉलो किया गया ऑपरेशन था। इसके बारे में जनरल वीके सिंह के साथ ही कई और सैन्य अधिकारी लिख चुके हैं।

ये तक कहा जा चुका है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार जलियांवाला बाग से भी ज्यादा खतरनाक था। उन्होंने आगे कहा कि खालिस्तान से जुड़े मुद्दों को लेकर विदेशी धरती पर बैठे लोग हमेशा कुछ ना कुछ करेंगे, लेकिन हमें उन लोगों पर ध्यान देने के बजाय अपने देश पर ध्यान देना चाहिए।

कबीर बेदी अपनी किताब 'स्टोरीज आई मस्ट टेल' के पोस्टर के साथ।

कबीर बेदी अपनी किताब ‘स्टोरीज आई मस्ट टेल’ के पोस्टर के साथ।

भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल का आखिरी दिन

भारत भवन में शुक्रवार से भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल चल रहा है। इसके आखिरी दिन अलग-अलग विषयों पर 19 सत्र आयोजित हुए। इसमें ‘चीताज, द लास्ट एंड द लेटेस्ट’, ‘चीन, द थ्रेट ऑफ वॉर’, ‘दास्तान-ए-जगजीत’, ‘झांसी की रानी, वृंदावन लाल वर्मा की कृति’, ‘बॉक्स ऑफिस फ्रॉम बुक्स’ खास रहे।

तीन दिन के इस कार्यक्रम के दौरान लगभग 90 लेखकों ने अपनी बात रखी। इनमें पूर्व राजदूत, नौकरशाह, पर्यावरणविद, कलाकार और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियां भी रहीं। अमेरिकी-भारतीय वास्तुकार क्रिस्टोफर बेनिंगर, सत्या सरन, अरुणा शर्मा, कबीर बेदी जैसे बड़े नाम भी इसमें शामिल रहे। पहले दिन 13 सत्र हुए। वहीं दूसरे और तीसरे दिन 19-19 सत्रों का आयोजन हुआ।

बीएलएफ का समापन श्रीमति लता मुंशी के नृत्य प्रस्तुति से हुआ।

बीएलएफ का समापन श्रीमति लता मुंशी के नृत्य प्रस्तुति से हुआ।

ज्ञान प्रसारक पुरस्कार की शुरुआत; इंदौर के रूपाणिया बुक स्टोर को पहला अवॉर्ड

बीएलएफ का समापन श्रीमति लता मुंशी के नृत्य प्रस्तुति से हुआ। साथ ही, कविता प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया है। डायरेक्टर डॉक्टर राघव चंद्रा ने सभी का धन्यवाद देते हुए सफल आयोजन की बधाई दी। संबोधन में उन्होंने कहा कि हम अगले साल फिर लौटेंगे। इस नॉलेज महाकुंभ को ज्यादा बड़े स्तर पर पहुंचाएंगे।

बीएलएफ के फाउंडर राघव चंद्रा ने कहा कि 2019 में जब उन्होंने शुरुआत की तो सुशीला देवी जी के नाम पर सम्मान देना तय किया गया। ये अवॉर्ड नॉन फिक्शन के क्षेत्र में महिला लेखिकाओं को दिया जाता है। इस बार का सम्मान अनुराधा रॉय की अर्थ स्पिनिंग किताब को दिया गया। इसके तहत उन्हें सम्मान के साथ ही 2 लाख रुपए का चेक भी प्रदान किया गया। बीएलएफ में इस बार ज्ञान प्रसारक पुरुस्कार की भी शुरुआत हुई। इसका पहला पुरुस्कार हितेश रूपाणिया (रूपाणिया बुक स्टोर इंदौर) को दिया गया।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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