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चश्मा हटाने वाले आई ड्रॉप पर आया नया अपडेट, मिसयूज से डरी सरकार, मार्केट में उतरने से पहले लिया बड़ा फैसला

कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी क‍ि सरकार ने एक ऐसे आई ड्रॉप को मंजूरी दी है, जिसे डालने के 15 मिनट बाद आपको चश्मा लगाने की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ 15 मिनट में आपके आंख की रोशनी अस्‍थाई तौर पर लौट आएगी और बिना चश्मे के आप आराम से पढ़ ल‍िख पाएंगे. लेकिन इसके मिसयूज को लेकर सवाल उठाए गए तो सरकार ने मंजूरी पर रोक लगा दी है. यानी अभी यह आईड्रॉप बाजार में नहीं आएगी. पहले सरकार इसकी जांच करेगी, उसके बाद फैसला ल‍िया जाएगा.

ड्रग्‍स रेगुलेटरी एजेंसी, सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने मुंबई स्थित एंटोड फार्मास्यूटिकल्स को दी गई मार्केटिंग और मैन्‍यूफैक्‍चरिंग की अनुमत‍ि को अगली सूचना तक रद्द कर दिया है. पिछले हफ्ते एंटोड ने यह आई ड्रॉप लांन्‍च क‍िया था. दावा था क‍ि यह दवा आंखों की पुतल‍ियों के आकार को कम करके ‘प्रेस्बायोपिया’ का इलाज करती है. इससे नजदीक की चीजें साफ-साफ नजर आने लगती है. प्रेस्बायोपिया आंखों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें पास की चीजें दिखाई नहीं देतीं. आमतौर पर ज्‍यादा उम्र वाले लोगों में यह समस्‍या आती है.

340 रुपये में बिकनी थी बाजार में
कंपनी ने दावा क‍िया था क‍ि अक्‍तूबर में यह आई ड्रॉप बाजार में आ जाएगी और 340 रुपये में दवा की दुकानों पर उपलब्‍ध होगी. लेकिन अब सीडीएससीओ के प्रमुख और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने कंपनी के दावों को लेकर जानकारी तलब की. लेकिन पता चला क‍ि कंपनी अपने दावों को पूरी तरह सही नहीं ठहरा पाई. इसकी वजह से आई ड्रॉप बेचने की मंजूरी रद्द कर दी गई. न्‍यूज18 ने ऑर्डर की एक कॉपी देखी है. डीसीजीआई के राजीव सिंह रघुवंशी की ओर से 10 सितंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि दवा को बाजार में बेचने और बनाने की अनुमत‍ि सस्‍पेंड की जाती है. यह आदेश मुंबई और गुजरात के फूड कमिश्नर और अन्‍य अध‍िकार‍ियों को भी भेजे गए हैं, ताक‍ि इसे बाजार में न उतारा जा सके. एजेंसी से जुड़े एक सूत्र ने बताया क‍ि दवा के दुरुपयोग के बारे में चिंता जताई गई थी.

क्‍यों रद्द की गई अनुमत‍ि
आदेश के अनुसार, ड्रग्‍स कंट्रोल एजेंसी ने प्रेस्बायोपिया के इलाज के ल‍िए इस दवा को अनुमत‍ि दी थी क्‍योंक‍ि इसमें पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25% मिला हुआ था. लेकिन कंपनी ने कई और ऐसे दावे कर डाले, जिसके ल‍िए अनुमत‍ि नहीं दी गई थी. कंपनी ने दावा क‍िया था क‍ि इसे डालने के बाद पढ़ने के ल‍िए चश्मा डालने की अनुमत‍ि नहीं होगी. लेकिन जब कंपनी से जवाब मांगा गया, तो वे इस दावे की वजह नहीं बता सके. उनके जवाब से डीसीजीआई को संतुष्‍ट नहीं कर पाई.

Tags: Health News, Latest Medical news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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