सर्दियों में सस्ता हुआ मुर्गा लेकिन लगातार महंगी होती जा रही है मुर्गी, जानिए क्यों

नई दिल्ली. सर्दी के सीजन में रोस्टेड और फ्राई चिकन की डिमांड मुर्गे को महंगा कर देती है. शादी-ब्याह के अलावा सबसे ज़्यादा डिमांड होटल-रेस्टोरेंट और छोटे-छोटे फास्ड फूड के कॉर्नर पर रहती है. लेकिन यह पहला मौका है जब डिमांड के चलते मुर्गा नहीं मुर्गी महंगी हो रही है. वो भी जस्ट डबल रेट. चिकन मार्केट एक्सपर्ट की मानें तो अभी मुर्गी के दाम और बढ़ेंगे जबकि मुर्ग के रेट में मामूली फर्क आएगा.चिकन मार्केट एक्सपर्ट और यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली का कहना है, “बीते साल इन दिनों में रिटायर्ड मुर्गी (अंडा देना कम या बंद कर देने वाली) मुर्गी की बिक्री 30 रुपये से लेकर 40 रुपये किलो तक रहती थी. लेकिन कोरोना के असर के चलते अब यही मुर्गी 80 रुपये किलो में बिक रही है. यह मुर्गी शादी-ब्याह और होटल में चिकन कोरमा बनाने में ज़्यादा इस्तेमाल होती है. लेकिन इस साल अंडा देने वाली मुर्गियां कम हैं तो जब तक अंडा दे रही है तो पोल्ट्री वाले उसे नहीं बेच रहे हैं. बीते साल के मुकाबले दाना भी थोड़ा सस्ता है तो कोई बड़ा रिस्क भी नहीं है. अगर 60 फीसद अंडा भी दे रही है तो घाटे का सौदा नहीं है.
रोस्टेड और फ्राई में खाया जाता है बॉयलर चिकन-रेस्टोरेंट के संचालक हाजी अखलाक का कहना है, रोस्टेड और फ्राई चिकन के लिए बॉयलर मुर्गा इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि मुर्गी के मुकाबले बॉयलर मुर्गे का मीट मुलायम होता है. जबकि स्वाद सबसे ज़्यादा मुर्गी में होता है.
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अक्टूबर-नवंबर में बॉयलर चिकन के रेट 80 से 85 रुपये किलो तक होते हैं. लेकिन नवंबर खत्म होने से पहले बॉयलर के बच्चे बड़े हो जाते हैं और बॉयलर के रेट कम होने लगते हैं. लेकिन इस साल अक्टूबर में बॉयलर 120 रुपये किलो तक थोक में बिका था. अब आजकर 110 रुपये किलो पर आया है. कोरोना के चलते बड़ी संख्या में मुर्गी-मुर्गे मारे जा चुके हैं तो इसलिए आगे चलकर रेट कम होने की उम्मीद कम ही है.
बॉयलर चिकन कारोबार के बारे में जानिए…इस व्यवसाय में फार्म को बनाने की पूरी विधि के बारे एक्सपर्ट्स बताते हैं, अगर 500 मुर्गियों से शुरू कर रहे हैं तो उसके लिए 500 स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता होती है. फार्म को बनाने के लिए 28 फीट चौड़ाई और 30 फीट लंबाई रखना होता है. इसके अलावा फार्म के बीच ऊंचाई को कम से कम 10 फीट और साइट की ऊंचाई 8 फीट रखें.
फार्म को बनाने के बाद उसमें जाली को लगवाएं, जिससे मच्छर मक्खी जैसे कीड़े-मकोड़ों को रोका जा सके. फार्म को पूर्व से पश्चिम की तरफ बनवाना चाहिए. फार्म बनवाने के बाद उसमें भूसी या बुरादे का बिछावन बिछाएं. जाड़े और बरसात में भूसी को ही बिछाएं और भूसे या बुरादे की मोटाई ढ़ाई इंच रखनी चाहिए.
मुर्गियों को तीन तरह आहार दिया जाता है, जिससे उनके वजन मे अच्छी तरह से बढ़वार होती है. ये आहार प्री-स्टार्टर, स्टार्टर और फिनिशर आहार हैं. सबसे पहले प्री-स्टार्टर देना चाहिए, उसमें 24 प्रतिशत प्रोटीन होती है जो कि 10 दिन दिया जाता है.
उसके बाद स्टार्टर दिया है उसमें प्रोटीन की मात्रा 22 प्रतिशत होती है, जब 17-18 दिन में 1 किलो वजन आ जाता है, तब तक देते हैं. उसके बाद फिनिशर आहार दिया जाता है. उसमें प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत होती है.
कई बार किसान मुर्गियों को सुबह और शाम दाना देते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें. उनको 8-8 घंटे पर दाना देते रहना चाहिए और पानी भी तीन बार दें, जिससे उनको ताजा पानी मिले सके.अच्छी हैचरी और अच्छी गुणवत्ता का चूजा खरीदना चाहिए. भारत में आजकल कई तरह की बर्ड आ गई है जैसे हब बर्ड, रास बर्ड. यह अपनी भारत की जलवायु के अनुकूल नहीं है इसलिए काप बर्ड के चूजे को ही मुर्गीपालक को खरीदना चाहिए.
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Tags: Business news in hindi, Egg Price, Egg Price in India
FIRST PUBLISHED : November 13, 2020, 06:25 IST
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