अजब गजब

RBI ला रहा है कमाई का जबरदस्त तरीका, पर्यावरण बचाने के साथ कमाएं मुनाफा, जानिए कैसे

हाइलाइट्स

बॉन्ड्स से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल ग्रीन प्रोजेक्ट्स में होगा.
इन पैसों को फॉसिल फ्यूल से जुड़े किसी प्रोजेक्ट में नहीं लगाया जाएगा.
पैसा कहां खर्च होना है इसका निर्णय एक कमेटी करेगी.

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि कुल 16,000 करोड़ रुपये का पहला सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGRB) दो चरणों में जारी किया जाएगा. इस निर्गम से मिली राशि को सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसी परियोजनाओं में लगाया जाएगा, जो कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद करती हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये पैसा ग्रीन इंफ्रा को बढ़ावा देने के लिए खर्च होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने एक बयान में कहा कि पहली नीलामी 25 जनवरी को जबकि दूसरी 9 फरवरी को की जाएगी.

गौरतलब है कि आम बजट 2022-23 में घोषणा की गई थी कि भारत सरकार ग्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधन जुटाने को हरित बॉन्ड जारी करेगी. इसके लिए नवंबर 2022 में एक सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क भी तैयार किया गया था. एक बयान में कहा गया था कि सरकार कुल 16,000 करोड़ रुपये के सॉवरेन बॉन्ड जारी करेगी.’ ये ग्रीन बॉन्ड 5 साल और 10 साल की अवधि में उपलब्ध होंगे.

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खुदरा निवेशकों के लिए मौका
SGRB को यूनिफॉर्म प्राइस वाली नीलामी के जरिए जारी किया जाएगा और इसकी कुल राशि का 5 फीसदी हिस्सा खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित होगी. आरबीआई ने कहा कि इन पत्रों को एसएलआर उद्देश्यों के लिए एक योग्य निवेश माना जाएगा. ये बॉन्ड द्वितीयक बाजार में कारोबार के लिए पात्र होंगे. ग्रीन बॉन्ड जारी करके जुटाई गई राशि का इस्तेमाल फॉसिल फ्यूल के उत्पादन और वितरण के लिए नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा ऐसी परियोजनाएं जहां मुख्य ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन पर आधारित है और परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भी इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

कौन तय करेगा खर्च
सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क के मुताबिक, इन बांड्स द्वारा जुटाई जाने वाली राशि किन प्रोजेक्ट्स पर खर्च की जाए, इसका फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नारायण की अध्यक्षता वाली ग्रीन फाइनेंस वर्किंग कमेटी करेगी. अलग-अलग विभाग अपने-अपने ग्रीन प्रोजेक्ट्स की रिपोर्ट कमेटी को देंगे और फिर कमेटी उनमें से उचित प्रोजेक्ट का चुनाव करके वित्त का निर्धारण करेगी. सभी योग्य हरित व्यय में सरकार द्वारा निवेश, सब्सिडी, अनुदान या कर छूट के रूप में किए गए सार्वजनिक व्यय शामिल होंगे. सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसी परियोजनाएं, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करती हों, उन्हें भी इस ढांचे में शामिल किया गया है.

Tags: Business news in hindi, Earn money, Investment, Investment and return, RBI


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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