मध्यप्रदेश

Mp News:व्यापम घोटाले ने चुनावी साल में फिर उड़ाई सरकार की नींद, एसटीएफ की Fir में Bjp नेताओं का जिक्र – Mp News: Vyapam Scam Again Gave Sleepless Nights To The Government In The Election Year, Stf Mentioned Bjp Lea

व्यापमं
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव है। इस चुनावी साल से पहले व्यापमं घोटाले को लेकर स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के 6 दिसंबर को दर्ज एक एफआईआर ने सरकार की नींद उड़ा दी है। पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की शिकायत पर आठ साल बाद एसटीएफ ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें मेडिकल कॉलेज में व्यापमं के अधिकारियों, सरकार के मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के सहयोग से फर्जी तरीके से एडमिशन लेने की बात कही गई है।
 
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 2014 में व्यापम घोटले की शिकायत एडीजी सुधीर साही को कही थी। इस शिकायत में 2006 के बाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए व्यापमं की तरफ से ली गई परीक्षा में घोटाले का आरोप है। शिकायत में कहा गया कि अधिकांश परीक्षा में कुछ लोगों ने आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यापमं के अधिकारियों से मिलकर तथा मध्य प्रदेश शासन के मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा अन्य के लोगों के प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग से इस व्यापमं घोटाले को अंजाम दिया गया।
 
चुनाव साल के पहले आठ साल पुरानी शिकायत पर एफआईआर से बीजेपी में खलबली मच गई है। इस एफआईआर से भाजपा संगठन भी नाराज है। खासतौर पर एफआईआर में सरकार के मंत्रियों और नेताओं के जिक्र से बीजेपी घिर गई है। इस मामले पर कांग्रेस को बीजेपी को घेरने का एक मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि जब सरकार की ही अधीनस्त जांच एजेंसी ने स्वीकार कर लिया है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व अन्य ने अधिकारियों के साथ मिलकर व्यापमं घोटाला किया तो ईमानदार कौन? असली दोषी बाहर क्यों?
  
एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की एक लिखित शिकायत के बाद एसटीएफ,भोपाल ने प्रकरण क्र.311/14 की लंबित जांचोपरांत भादवि की धारा -419, 420, 467, 468, 471, 120 B के तहत 8 लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है! मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि अब इस तथ्य को भी सार्वजनिक होना चाहिए कि इसमें इतना विलंब किसके दबाव में हुआ?

विस्तार

मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव है। इस चुनावी साल से पहले व्यापमं घोटाले को लेकर स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के 6 दिसंबर को दर्ज एक एफआईआर ने सरकार की नींद उड़ा दी है। पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की शिकायत पर आठ साल बाद एसटीएफ ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें मेडिकल कॉलेज में व्यापमं के अधिकारियों, सरकार के मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के सहयोग से फर्जी तरीके से एडमिशन लेने की बात कही गई है।

 

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 2014 में व्यापम घोटले की शिकायत एडीजी सुधीर साही को कही थी। इस शिकायत में 2006 के बाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए व्यापमं की तरफ से ली गई परीक्षा में घोटाले का आरोप है। शिकायत में कहा गया कि अधिकांश परीक्षा में कुछ लोगों ने आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यापमं के अधिकारियों से मिलकर तथा मध्य प्रदेश शासन के मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा अन्य के लोगों के प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग से इस व्यापमं घोटाले को अंजाम दिया गया।

 

चुनाव साल के पहले आठ साल पुरानी शिकायत पर एफआईआर से बीजेपी में खलबली मच गई है। इस एफआईआर से भाजपा संगठन भी नाराज है। खासतौर पर एफआईआर में सरकार के मंत्रियों और नेताओं के जिक्र से बीजेपी घिर गई है। इस मामले पर कांग्रेस को बीजेपी को घेरने का एक मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि जब सरकार की ही अधीनस्त जांच एजेंसी ने स्वीकार कर लिया है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व अन्य ने अधिकारियों के साथ मिलकर व्यापमं घोटाला किया तो ईमानदार कौन? असली दोषी बाहर क्यों?

  

एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की एक लिखित शिकायत के बाद एसटीएफ,भोपाल ने प्रकरण क्र.311/14 की लंबित जांचोपरांत भादवि की धारा -419, 420, 467, 468, 471, 120 B के तहत 8 लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है! मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि अब इस तथ्य को भी सार्वजनिक होना चाहिए कि इसमें इतना विलंब किसके दबाव में हुआ?




Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!