छतरपुर थिएटर फेस्टिवल:नारी अत्याचार के सुलगते प्रश्न उठाता है नाटक ‘अगरबत्ती’ – Chhatarpur Theater Festival: The Play ‘agarbatti’ Raises Burning Questions Of Women’s Atrocities

छतरपुर फेस्टिवल की दूसरी शाम प्रख्यात नाटक अगरबत्ती का मंचन किया गया।
– फोटो : सोशल मीडिया
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छतरपुर जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के द्वारा शंखनाद नाट्य मंच एवं भारत उदय सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिषद के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय छतरपुर फेस्टिवल की दूसरी शाम जबलपुर के कलाकारों के नाम रही। संस्कारधानी से आए इन कलाकारों ने आशीष पाठक के लिखे एवं स्वाति दुबे द्वारा निर्देशित देश के प्रख्यात नाटक अगरबत्ती का मंचन किया। यह नाटक वर्ण और लिंग के भेदभाव से जुड़े नारी अत्याचार के सुलगते प्रश्न खड़े करता है और फिर इनका समाधान प्रस्तुत करता है।
इस नाटक के माध्यम से छतरपुर थिएटर फेस्टिवल एक नई ऊंचाई को छूने में कामयाब रहा। बेहमई हत्याकांड की पृष्ठभूमि पर विधवा हुईं महिलाओं की काल्पनिक कथा से जुड़े इस नाटक में कलाकारों का बेजोड़ अभिनय देखने को मिला। नाटक के समापन पर दर्शकों ने खड़े होकर कलाकारों का अभिवादन किया।
दूसरे दिन छतरपुर थिएटर फेस्टिवल में मुख्य अतिथि के तौर पर जिला पंचायत की सीईओ तपस्या परिहार मौजूद रहीं। इसके साथ ही भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिकों ने दीप प्रज्वलन के साथ आयोजन की शुरुआत की। डीएटीसीसी की ओर से नोडल अधिकारी लखन असाटी एवं शंखनाद नाट्य मंच की अध्यक्ष अंजली शुक्ला ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं बाहर से आए कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
नाटक के दौरान नगर के साहित्य, कला और संस्कृति प्रेमी दर्शक मौजूद रहे। नाटक में चंबल की पृष्ठभूमि का बखूबी इस्तेमाल किया गया। स्थानीय लोकगीतों और संस्कृति के साथ एक कहानी शुरू होती है जो सवा घंटे तक दर्शकों को बांधे रखती है। नाटक में जबलपुर के रंगकर्मी स्वाति दुबे, मानसी रावत, आयुषी राव, ज्योत्सना कटारिया, शिवांजलि गजभिए, हर्षिता गुप्ता, साक्षी दुबे, साक्षी गुप्ता, भावना जैन, उत्सव हांडे, हर्षित सिंह ठाकुर, विधान कटारे, नमन सेन, अर्पिता खटीक, शिवकर सप्रे, अंकित कुमार ने विभिन्न किरदार निभाए। लाइट और लेखन आशीष पाठक का रहा। वाइस ओवर गोविंद नामदेव, ध्वनि संयोजन अनमोल किरार, सेट डिजाइन देवेन्द्र दुबे और पोषाक सज्जा वंदना अवस्थी की रही।