छतरपुर थिएटर फेस्टीवल का रंगारंग समापन: नट सम्राट के नाम रही नाट्य महोत्सव की आखिरी शाम

वेदना और संवेदना के बीच खड़े नट सम्राट ने कभी हंसाया कभी रूलाया

छतरपुर। जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के द्वारा शंखनाद नाट्य मंच एवं भारत उदय सामाजिक व सांस्कृतिक परिषद के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय छतरपुर फेस्टीवल की आखिरी शाम भोपाल के कलाकारों के नाम रही। भोपाल की एकरंग सोसायटी के कलाकारों ने देश के ख्यातिनाम नाटक नट सम्राट की प्रस्तुति देकर इस नाट्य महोत्सव का कद बढ़ा दिया। प्रदेश के वरिष्ठ अभिनेता आलोक चटर्जी की मुख्य भूमिका से सजे इस नाटक ने मानवीय वेदना और संवेदना के बीच संघर्ष करते एक कलाकार के जीवन को प्रदर्शित किया। इस नाटक ने दर्शकों से खचाखच भरे ऑडिटोरियम को कई बार तालियां बजाने, हंसने और भावुक होने के लिए मजबूर किया।

उल्लेखनीय है कि 27 दिसम्बर से इस नाट्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ था। पहले दिन शंखनाद नाट्य मंच छतरपुर के कलाकारों ने महाबली छत्रसाल की प्रस्तुति दी। दूसरे दिन जबलपुर के कलाकारों के द्वारा नाटक अगरबत्ती का मंचन किया गया और तीसरे दिन देश के जाने-माने रंगकर्मी जयंत देशमुख द्वारा निर्देशित नाटक नट सम्राट की प्रस्तुति हुई। इस नाटक का मुख्य किरदार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित और मप्र नाट्य विद्यालय के पूर्व निर्देशक आलोक चटर्जी के द्वारा निभाया गया। उनकी पत्नि कावेरी का किरदार रश्मि मजूमदार ने निभाया। इसी तरह अन्य किरदारों में हरीश वर्मा, ज्योति दुबे, एश्वर्या, आशी मालवीय, संदीप पाटिल, आशीष ओझा, प्रियेश पाल ने बेजोड़ अभिनय किया। वी.वा. शिरवाडकर के लिखे इस नाटक का निर्देशन जयंत देशमुख ने किया था जो अनेक फिल्मों और नाटकों से जुड़ा देश का प्रख्यात नाम है। नाटक को देखने के लिए छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर, एसपी सचिन शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष ज्योति चौरसिया बतौर अतिथि मौजूद रहे जबकि कार्यक्रम के उपरांत हम फाउण्डेशन की ओर से मनीष दोसाज, प्रवीण गुप्त, कोमल टिकरिया, नवीन टिकरिया ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। नाट्य महोत्सव के समापन पर जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की ओर से नोडल अधिकारी लखन असाटी ने सभी कलाकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया साथ ही बताया कि यह नाट्य महोत्सव हर वर्ष दिसम्बर के आखिरी पखवाड़े में आयोजित किया जाएगा। इस नाट्य महोत्सव के सफल आयोजन पर शंखनाद नाट्य मंच की ओर से शिवेन्द्र शुक्ला, नीरज खरे, अंकुर यादव, अंजली शुक्ला ने भी दर्शकों और कलाकारों का आभार व्यक्त किया।

जिंदगी के दुखों को नाटक मान लेता है अभिनेता
नट सम्राट एक अभिनेता का आत्मालाभ है। यह कथा प्रसिद्ध शेक्सपीरियन अभिनेता गणपतराव रामचन्द्र बेलवलकर की है जिसे नट सम्राट की उपाधि से नवाजा जाता है पर जब वह थिएटर से रिटायर होता है तो अभिनय का मोह नहीं छोड़ पाता। उसके जीवन में अंतहीन दुख आते हैं जिन्हें वह एक कुशल अभिनेता की भांति आत्मसात करके अपने जीवन में नाटक की तरह जीने लगता है। उसकी पत्नि और दोनों बच्चे एक लड़का और एक लड़की यह मानते हैं कि पिता ने थिएटर को घर में ला दिया है। कई बार परिवार से मिले कष्टों से दुखी होता और कई बार इन कष्टों को हंसकर झेल जाता नट सम्राट अपने जीवन के इन दुखों को भी एक नाटक समझ लेता है। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने मानवीय भावनाओं के प्रवाह को मंच पर जीवंत कर दिया। नाटक के अंत में दर्शकों ने खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाईं। लगभग दो घंटे के इस नाटक को देखने के लिए ऑडिटोरियम हाउसफुल रहा।