जब बीच रास्ते में ड्राइवर ने बस रोक किया था परेशान, तभी आया ऐप बेस्ड कैब शुरू करने का ख्याल, आज हैं करोड़ों के मालिक

नई दिल्ली. ऐप बेस्ड कैब ओला (OLA) से तो आप परिचित होंगे ही..जी हां..हम उसी ओला की बात कर रहे हैं जिसे आप राइड के लिए झट से कभी भी एक ऐप के जरिए बुला लेते हैं. लेकिन आप जानते हैं इस ओला को शुरू करने की पीछे काफी रोमांचक कहानी है. दरअसल, यह स्टार्टअप उस जरूरत को महसूस कराता जिसे आज से 10 साल पहले भाविश अग्रवाल ने सोचा था. उनकी इस सोच का नतीजा ही है कि आज हम बेक्रिफ होकर कभी भी कहीं भी ओला से आ जा सकते हैं. जहां सबकुछ एक ऐप पर है, भुगतान से लेकर लोकशन तक.
आज से सालों पहले जब लाखों की पैकेज वाली नौकरी छोड़कर भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी ने ओला के बारे में सोचा तब घर वाले मजाक उड़ाते थे. आज हर कोई सलाम कर रहा है, और यह कंपनी करोड़ों की वैल्यू वाली कंपनियों में से एक है. चलिए जानते हैं इसके पीछे की सफल कहानी…
कैसे सोचा ओला के बारे में
साल 2007 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के दो युवा छात्र, भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी, पवई में अपने परिसर से 335 किमी की साइकिल यात्रा पर तटीय महाराष्ट्र में रत्नागिरी के लिए निकले. वे घूमने के शौकीन थे. एक बार, जब उन्होंने बेंगलुरु से बांदीपुर की वीकेंड यात्रा के लिए एक कार किराए पर ली तो ड्राइवर मैसूर में बीच में ही रुक गया और अधिक भुगतान की मांग की. अविचलित भाविश ने बाकी की दूरी बस से तय की. तब उन्हें इस ऐप बेस्ड स्टार्टअप (OLA)का ध्यान आया और उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया. अंकित उसके साथ जुड़ गया और दोनों ने 2011 में ओला कैब्स बनाई.
भले ही भाविश और अंकित ने अपनी भव्य साइकिल यात्रा को छोड़ दिया, लेकिन एक यात्रा है जो उनके लिए बेहद सफल रही है- उनका व्यावसायिक यात्रा है. एक ऐसा शब्द जो स्पेनिश में ‘हैलो’ शब्द जैसा लगता है. ओला को सबसे पहले भाविश ने olatrips.com के रूप में शुरू किया था, जो एक पोर्टल है जो बाहरी यात्राओं के लिए कारों और होटलों के आरक्षण में मदद करता है.
ये भी पढ़ें- 12.90 रुपए के इस शेयर ने निवेशकों को किया मालामाल! सालभर में ₹1 लाख बन गए ₹6 लाख, क्या है आपके पास?
..और दोस्ती बदल गई पार्टनरशिप
भाविश ने अंकित से उनके पहले दिन आईआईटी में मुलाकात की थी. उनके कमरे एक-दूसरे के बगल में थे और अंकित ने अपना परिचय देने के लिए भाविश का दरवाजा खटखटाया था. जुनूनी और उद्यमी, युवा छात्रों ने एक साथ अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का सपना देखा. वास्तविक दुनिया के अनुभव के भूखे, उन्होंने फ्रीलांस कोडिंग परियोजनाओं सहित कई पाठ्येतर कार्यों में भाग लिया. भाविश याद करते हैं कि उन्हें उस पहली परियोजना के लिए भुगतान नहीं मिला, जिस पर उन्होंने काम किया था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने जो हासिल किया वह अमूल्य था – ऐसे अनुभव जिन्होंने उन्हें वास्तविक व्यवसाय के मूल सिद्धांतों और खजाने के लिए आजीवन दोस्ती के बारे में सिखाया.
ये भी पढ़ें- खुशखबरी! अगस्त में लाखों किसानों के खाते में भेजे जाएंगे 2 लाख 25 हजार रुपये, जानिए क्या है वजह?
पहले सबने उड़ाया था मजाक
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में काम कर रहे भाविश ने जब नौकरी छोड़कर इस काम में हाथ आजमाया तो घरवालों के साथ उनके दोस्तों ने भी उनका मजाक उड़ाया और कहा नौकरी छोड़कर बिजनेस चालू करना बेकार आईडिया है, पर भाविश नौकरी करने की जगह सेल्फ मेड एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे.भाविश कहते हैं जब मैंने शुरुआत की तो मेरे माता-पिता सोच रहे थे कि मैं ट्रैवल एजेंट बनने जा रहा हूं. उन्हें समझा पाना काफी मुश्किल था, लेकिन जब ओला कैब्स को पहली फंडिंग हासिल हुई, तो उन्हें मेरे स्टार्टअप पर भरोसा हुआ. बता दें कि आज कई शहरों में ओला ने अपनी जगह बनाई है. कंपनी हजारों करोड़ों में कारोबार कर रही है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Business news in hindi, Ola Cab, Ola ride, Success Story
FIRST PUBLISHED : July 24, 2021, 16:25 IST
Source link